ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets

हम सभी जानते हैं कि ETFs का मतलब EXCHANGE TRADED FUND होता है। क्योकि यह SHARES की तरह STOCK EXCHANGE मे TRADE करता है। ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets आइए जानते हैं कैसे –

Inverse ETF, Arbitrage Trading (ETF Creation) , Defensive ETF (Gold ,Silver) से Profit बनाया जा सकता है।Exchange Traded Fund (ETFs ) – Investment का एक Smart , easy और effective ऑप्शन है।

लेकिन ACTUALLY मे ETF क्या है , What is ETF Creation? इसे Risk- Free, Safe Earning– option क्यों कहा जाता है, पहले इसे समझने की कोशिश करते हैं।

ETF CREATION का मतलब एक नई ETF बनाने की PROCESS, जहां स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य एसेट्स को मिलाकर एक नया ETF तैयार किया जाता है, फिर इसकी UNITS को Market में Trade किया जाता है, जिससे INVESTORS को EASY- WAY मे INVEST करने का OPTION मिलता है।

STOCKS BONDS ASSETS
MIX ALL OF THESE TOGETHER – STOCKS+BONDS+ASSETS
PRODUCT= ETF UNITS (combining various assets like stocks, bonds, commodities, and gold-silver)

अब इसकी units किसी individual stock की तरह market मे Trade होती है।

आप इसे बिल्कुल SIMPLE- WAY मे भी समझ सकते हैं जैसे मिठाई वाले , FRUIT वाले , बुके वाले की SHOP –

मान लीजिये आपको मिठाई खरीदनी है, अब आप मिठाई वाले की दुकान मे जाते हैं और वहां देखते हैं कि हर प्रकार की मिठाइयाँ available है, जैसे

बर्फी 500 रूपए किलो ,

लड्डू 350 रूपए किलो ,

काजू कतली 800 रूपए किलो ,

रसगुल्ला 450 रुपए किलो ,

बालूशाही 250 रूपए किलो ,

कलाकंद 550 रूपए किलो।

अब आपको अगर मिक्स मिठाई लेनी है ONE KG , तो दुकानदार सबको मिक्स करके एक बॉक्स बना देगा ONE KG का, तो उसने आपको एक यूनिट बेची हर मिठाई मे से एक- एक मिठाई डालकर।

मिठाई दुकान वाले की इस image को ध्यान से देखिए same concept, Bonds, commodities ,shares ,assets class (gold ,silver) का stock mix करके एक new ETF की यूनिट बन जाती है। अब इसके यूनिट्स मार्किट मे TRADE होते हैं ।

ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets

मिठाई की तरह Fruits से भी आप यही concept समझ सकते हैं और flower के बुके से भी।

ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets

इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं  जैसे आपने एक थैली में अलग-अलग कंपनियों के शेयर मिलाकर रख दिए हों, और उस थैली को बाजार में बेच रहे हों।

ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets

ETF CREATION कैसे होता है ,अब पूरे PROCESS को आसान शब्दों मे समझते हैं। ETF क्रिएशन में दो मुख्य PARTY शामिल होती है।

1. ETF Sponsor

2. Authorized Participant (AP)

Mutual फण्ड की Asset Management Company (AMC ) ही ETF Sponsor का काम करती हैं ETF Plan और Launch करती है।

जैसे

  • Nippon India
  • HDFC Asset Management Company
  • ICICI Prudential Asset Management Company
  • SBI Asset Management Company
  • Axis Bank Asset Management Company
  • Aditya Birla Sun Life AMC
Who is an ETF Sponsor ?

Purpose of Asset Management Company (AMC)-

Asset Management Company इन्वेस्टर्स से Money कलेक्ट करती है और इसे Mutual Funds ,Stocks ,Bonds ,या Real Estate मे Invest करती है। इनका Main goal होता है Investor के पैसों को grow करना और safe रखना।

Role of AMC (Asset Management Company)

Asset Management Company (AMC) , ETF Sponsor के लिये responsible होती हैं।

ETF Sponsor सबसे पहले प्रोजेक्ट बनाता है, कि वह किस प्रकार का ETF Market मे लाएगा।

Nifty Based ,

Bank Nifty Based,

or themed Based

Approvals and Licensing

ETF Sponsor, SEBI (Securities and Exchange Board of India) से necessary approval लेती है,

NSE (National Stock Exchange) मे List करने के लिये या

BSE (Bombay Stock Exchange) मे।

Marketing and Promotion

Asset Management Company ETF का Promotion और Marketing करने के लिए TV, social media, websites,और दूसरी advertising channels का उपयोग करती हैं। इनका goal होता है  ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस ETF में Invest  करने के लिए encourage करना।

मान लीजिये एक fund house या Asset Management Company (AMC ) एक ETF Launch करती है 150 करोड़ का, अब 150 करोड़ का project बनाने के लिए ये अपना fund इस्तेमाल नहीं करते। इसके बजाय, वे आवश्यक धन जुटाने के लिए Authorized Participants (APs) के साथ मिलकर काम करते हैं।

ETF Sponsor (AMC): Short Summary

Launches and Manages the ETFAMC (Asset Management Company) बज़ार मे ETF create और  introduce करती है।

Gets SEBI (Securities and Exchange Board of India) Approval ETF  launch करने से पहले , AMC को SEBI से approval लेना पड़ता है।

Determines Investment Strategyयह Decides करता है की  ETF किस index or assets को TRACK करेगा जैसे  NIFTY 50, Gold, etc.

Creates and Redeems ETF Units जब demand increases होती है तो Authorized Participants (APs)  ETF Sponsor से new  ETF units CREATE करवाते है। जब supply  बढ़ती है तो   Authorized Participants (APs) ETF यूनिट्स  redeem भी करवाते  हैं।

Ensures Liquidity Market Makers के साथ Collaborate करके ETF की Liquidity को maintain किया जाता है जिससे ETF आसानी से खरीदा और बेचा जा सके।

Manages Fund Assets ETF में मौजूद securities (स्टॉक्स और अन्य एसेट्स) की buying & Selling को मैनेज करता है ताकि यह अपने  Index के साथ align  होकर Index  को सही से ट्रैक कर सके।

Keeps Costs Low –AMC कोशिश करता है कि ETF का  expense ratios कम (low) रहे जिससे  investors को  better returns मिले।

ये Share Market के बड़े Investor or Broker होते हैं ,जो Stock Exchange से Shares का बड़ा हिस्सा खरीदते हैं और ETF Sponsor को देते हैं ETF creation के लिये। इनके पास बहुत सारा पैसा और लाइसेंस होता है।

Who is an Authorized Participant (AP)?

How Does It Work?

Buying Stocks

मान लीजिये Authorized Participant अगर Nifty 50 के 50 stocks पर ETF बना रहे हैं तो निफ्टी 50 में शामिल सभी 50 कंपनियों के शेयर उसी अनुपात में खरीदे जाते हैं, जिस अनुपात में वे इंडेक्स में होते हैं।

Creation Unit

Authorized Participant स्टॉक एक्सचेंज से खरीदे गए Shares को अपने Demat Account मे hold करते हैं और ETF Sponsors के Demat Account मे Transfer कर देते हैं

जिससे  कैश ट्रांसफर नहीं होता, Demat to Demat Account Transfer होता है।

Cash का लेन-देन नहीं होने के बजाय शेयरों का एक्सचेंज होता है। इसलिए इसमें स्टॉम्प ड्यूटी या अन्य चार्जेस नहीं लगते।

इससे दोनों ETF Sponsors और Authorized Participant (AP ) दोनों को प्रोफ़िट होता है।

इसके अतिरिक्त एक large Quantity hold करने से Demat Account मे Dividend भी मिलता है।

इससे भी ETF Sponsors को Profit होता है ,ETF Sponsors एक छोटा सा charge Management फीस के रूप मे Authorized Participant से लेता है इस प्रकार भी ETF Sponsors को profit मिलता है।

ETF Creation के बाद ETF Sponsors , Authorized Participant (AP ) को ETF यूनिट्स लोटा देते हैं।

अब इन ETF Units को स्टॉक एक्सचेंज मे Trade किया जाता है।

इसमे High Volume Trading (Arbitrage Trading) से profit earn किया जाता है।

Authorized Participant बड़ी मात्रा मे Trading करते हैं जिससे छोटे -छोटे 1 या 2 रूपए का PROFIT भी भारी मुनाफे मे बदल जाता है ।

आर्बिट्राज मे दो Stock Exchange  के बीच में, एक ही Share  को, Prices  के बीच में जो difference  होता है, उसका फायदा लेने के लिए एक जगह बेच दिया जाता है और एक जगह खरीद लिया जाता है। 

ETF Arbitrage Trading

लेकिन ईटीएफ एक  इंडेक्स पर बना होता है या इंडेक्स को track करता है।  तो वहां से इंडेक्स अगर बढ़ता है तो ईटीएफ भी बढ़ेगा लेकिन कभी-कभी  इंडेक्स अगर बढ़ रहा है और ईटीएफ में सेलिंग होती है तो यहॉं पर Price मे difference हो  जएगा। यहां पर 50 पैसा से एक रुपया तक का डिफरेंस भी देखने को मिल जाएगा। 

Index क्यों बढ़ता है – क्योंकि Market प्राइस Demand & Supply  पर चलती है। तो  अगर मार्किट मे Demand बढ़ेगी तो  Market Value बढ़ेगी। 

ETF मे Selling का मतलब – ETF जिन ASSETS से मिलकर बनता है जैसे स्टॉक,बांड्स, गोल्ड, सिल्वर ,कमोडिटीज़ तो ETF की ACTUAL VALUE इन Assets की total  value होती है।  

 ये Market hours मे 10 से 15 second के अंतर मे update होती रहती है तो इसे   INAV (Indicated Net Asset Value) कहते हैं। और अगर मॉर्केट क्लोज होने के बाद update होती है तो इसे NAV (Net Asset value) कहते हैं।  

authorized Participants (APs) और Market Makers इस Price के  difference से profit earn करते हैं क्योंकि उनकी capital high value capital होती है जैसे 100 करोड़। तो,  50 Paisa का difference भी बहुत बड़ा होता है। 

लेकिन अगर आप दूसरा पहलू देखें तो  authorized Participants (APs) और Market Makers का काम है, market मे लिक्विडिटी बनाए रखना। Market Value और NAV के बीच के डिफरेंस को कम करना। जिससे आम रिटेलर्स भी सही Price पर ETF buying कर सके। 

Arbitrage Trading की वजह से ETF की Market Value और NAV (INAV) के बीच ज्यादा फर्क नहीं आता। 

मान  लीजिए “Nifty 50 ETF” है, जिसका INAV = ₹250  (यानी इसके अंदर के Shares  की Value  ₹250  के बराबर है) लेकिन Market  में इसका Price  ₹255 पर ट्रेड हो रहा है 

मतलब यह है की वह अपने price से 5 रूपए अधिक (Price- Premium) पर ट्रेड हो रहा है  authorized Participants (APs) और Market Makers यहॉं पर क्या करेंगे ! ETF को SELL करेंगे जिससे उसकी कीमत गिरकर 250 तक आ जाए।

अब मान लीजिए किसी कारण ETF 245 रूपए पर Trade  होने लगता है। 

मतलब कम रेट पर या DISCOUNTED RATE  पर।  

 यहाँ authorized Participants (APs) और Market Makers ETF को खरीद लेंगे (Buy), जिससे इसकी कीमत बढ़ेगी और यह 250रूपए  के आसपास आ जाएगी।इस प्रकार  मार्केट पार्टिसिपेंट्स जैसे Authorized Participants (APs) और Market Makers इस अंतर को कम करने का काम करते हैं।

MARKET PRICE और INAV का DIFFERENCE इस IMAGE मे देखिए –

MARKET PRICE और INAV का DIFFERENCE

कोई भी ETF BUY करते समय उसकी CURRENT MARKET VALUE और ETF की TOTAL ASSET VALUE का DIFFERENCE जरूर देखें जिससे सही VALUE पर आप MONEY INVEST करें।

अगर हम एक Trader हैं तो हम यही चाहेंगे की हमे Shares, buy & Sell करने मे कोई दिक्कत ना हो। और सही कीमत पर trading करे। 

Market-Maker

अगर किसी ETF का Spread ज्यादा हो जाता है, तो Market Maker बीच मे आतें हैं या Active  हो जाते हैं  है, और Buy-Sell करके Spread को कम करते  है।

एक Example से समझते हैं मान लीजिए किसी ETF का 

Buy Price (Bid)= Rs 100 

Sell Price (Ask)= Rs 105  

यहाँ Spread = ₹105 – ₹100 = 5 रूपए  (जो ज्यादा है)।

100 ,101 ,102,103,104, 105 

 Market Maker देखता है कि Spread बहुत ज्यादा है और Market में Liquidity कम है।

100 ,101 ,102,103,104, 105 


वह Rs. 101 पर खरीदने और Rs. 104 पर बेचने का ऑर्डर डाल सकता है।

अब Buy-Sell Price घटकर 101 रूपए  और 104 रूपए  हो जाते हैं, जिससे Spread ₹3 हो जाता है।


इससे मार्केट ज्यादा स्टेबल हो जाता है और ट्रेडिंग आसान हो जाती है।

Market Maker क्यों ऐसा करता है?

Market Makers कम कीमत पर खरीदते हैं और ज्यादा कीमत पर sale order place कर रहे हैं तो उनको profit हो रहा है। 

high spread होने से Trading slow हो जाती है इसलिए Market Maker मार्किट  को active रखने के लिए Spread कम करते हैं। 

Market Makers का काम है Trading को Smooth और Efficient बनाना और investors को Fair Price पर Buy/Sell का मौका देना। 

Lending और  borrowing स्टॉक मार्किट  मे ऐसा process है जिसमे shares या  securities को उधार दिया या लिया जाता है। Share Market में बिना ट्रेड किए भी SLB (Securities Lending and Borrowing) से Earning की जा सकती है!

SLB Securities Lending & Borrowing

Shares या  securities को temporary transfer  किया जाता है, लेकिन बाद में उन्हें वापस करना होता है। इसे दो हिस्सों में समझ सकते हैं:

Lending  (उधार देना) – जब किसी Investor  के पास Shares होते हैं और वह उन्हें temporary कुछ समय के लिए किसी और को देने के बदले fixed fees या Interest कमाता है। मतलब इस system से लेंडर्स को अतिरिक्त आय (Extra Income) कमाने का मौका मिलता है। Borrower को Profit हो या Loss लेकिन आप अपने Demat में रखे हुए शेयरों को उधार  दे कर भी  किराया कमा सकते हैं।

चूंकि Lender को फिक्स रिटर्न मिलता है और रिस्क Borrower का होता है, इसलिए कई बड़े निवेशक SLB के जरिए Passive Income कमाते हैं।


Borrowing (उधार लेना) – जब कोई Trader या Investor  शेयरों को उधार लेता है (अक्सर  short-selling  के लिए) और तय समय के  बाद उन्हें वापस करता है एक fixed fees या Interest के साथ। 

Borrower के Profit या Loss का Lender की फीस या  Interest  पर कोई असर नहीं पड़ता। 

Shares, Fixed Interest के साथ  Lander के account मे वापस transfer कर दिए जाते हैं। 

इसमें Shares की ownership नहीं बदलती , सिर्फ temporary रूप से Shares  का उपयोग किया जाता है।

यह सिस्टम ट्रेडर्स को कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने की सुविधा देता है 

अब Short Selling को भी समझ लेते हैं –

Example – Tata Motors

मान लीजिए कि एक ट्रेडर को लगता है कि Tata Motors के शेयर की कीमत 500 रूपए  से गिरकर 450 रूपए  हो जाएगी। वह इस पर शॉर्ट सेलिंग करके मुनाफा कमाने की कोशिश करता है।

Borrowing – ट्रेडर अपने ब्रोकरेज से 100 शेयर उधार लेता है और 500 रूपए  मे call Short कर देता है मतलब  वह 100 शेयर 500 रूपए  प्रति शेयर की कीमत पर बाजार में बेच देता है।

Selling- तो Total Selling Price = ₹500 × 100 = ₹50,000


Buying Back–  कुछ दिनों के बाद Tata Motors  की price गिरकर 450 रूपए  आ जाती है अब 450 रूपए  lower price  मे दुबारा 100 Shares खरीद लिए जाते हैं। 

Total Buying Price = ₹450 × 100 = ₹45,000

Profit Calculation:

Selling Price – Buying Price = ₹50,000 – ₹45,000 = ₹5,000 profit


Returning Shares अब Trader  इन 100 शेयरों को  lender (brokerage)  को वापस कर देता है।

लेकिन अगर शेयर की कीमत बढ़कर ₹550 हो जाती, तो उसे ₹55,000 में वापस खरीदना पड़ेगा। और ₹5,000 का नुकसान होगा । Borrower 100 shares lander को return करेगा और साथ मे Fix interest भी देगा। ब्याज (interest) का भुगतान ट्रेडिंग नियमों और लेंडिंग एग्रीमेंट पर निर्भर करेगा।

इसलिए Share Market मे Lending or borrowing (Securities Lending and Borrowing) SLB से भी EARNING की जाती है

आप Equity Market से Best Stock Find करके अपना stock का पोर्टफोलियो develop कर सकते हैं फिर उसको Rent पर या अपने स्टॉक को लेंडिंग कर सकते हैं आइए समझते हैं हम कैसे SLB STOCK AUR उसका RATE CHECK करेंगे।

STEP 1 – NSE (National Stock Exchange of India Ltd ) की Official Website nseindia.com को अपने browser मे open करें।

NSE (National Stock Exchange of India Ltd ) की Official Website nseindia.com

STEP 2 – Home Page खुलने के बाद, आप Market Data पर क्लिक करेंगे।

Market Data

STEP 3 – अब आप MARKET DATA के अंदर Securities Lending and Borrowing पर CLICK करेंगे।

Securities Lending and Borrowing

STEP 4 – Securities Lending and Borrowing के अंदर 2 Series होती हैं 

Series A – अगर Series A Agreement में ऐसा provision दिया गया है, तो AGM (Annual General Meeting) या EGM (Extraordinary General Meeting) की record date से एक दिन पहले Foreclosure  हो सकता है।

Foreclosure का मतलब है कि  bond या  investment agreement समय से पहले  close कर दिया जाता है

Series B – इसमे Series A की तरह नहीं होता इसलिए Series B मे Liquidity ज्यादा होती है।

Series B पर क्लिक करेंगे और current month और आगे के months  की liquidity भी चेक करेंगे।

Securities Lending and Borrowing के अंदर 2 Series होती हैं Series A, Series B

STEP-5 अब समझते हैं क्या होता है BEST BID ,BEST OFFERS , UNDERLYING LTP ,FUTURES LTP, SPREAD-

BEST BID, BEST OFFERS, UNDERLYING LTP, FUTURES LTP-, SPREAD

BEST BID जिस PRICE पर और जितने Quantity मे शेयर Borrower को चाहिए।

for Example – 2500 X 5.50 = 13,750.00

BEST OFFERS– Lender के पास कितनी Quantity है और वह किस price पर अपने shares को Lend कराना चाहता है।

for Example – 200 Shares हैं

कोई 6.70 पर Shares lend करना चाहता है।

LTP – किसी ने 6.85 paisa भी Lending Rate लगा रखा है।

UNDERLYING LTP– Cash Market का Last Traded Price

FUTURES LTP– Future Market का Last Traded Price

SPREAD– Cash Market का Last Traded Price & Future Market का Last Traded Price का डिफरेंस Spread कहलाता है।

अपने Broker से contact करें। Customer Care पर बात करें SLB enable करवाएं। 

अपने stock को lend करें। और बिना कुछ बेचे Passive Income earn करें।

Short selling मे listed stock को Equity Market से buy करके धीरे -धीरे एक portfolio बनाइये, जिसे आप Rent पर दे सकें।

Buy-Sell Spread कब बढ़ता और कब घटता है? 

Factor (Cause)Spread IncreasesSpread Decreases
Market Conditionsजब Market मे High Volatility होती है। जब  market, stable होती है 
Liquidity (Trading Volume)जब ETF मे Low Volume होता है। जिससे उस दिन Trading बहुत कम होती है। जब High volume होता है। 
Trading Time9:15 AM (Opening) and after 3:15 PM (Closing) Spread Increase हो जाता है। 11 AM – 2 PM, के बीच मे जब market सबसे ज्यादा active होती है। 
Assets Inside the ETFजब ETF  के अंदर के ASSETS कम Liquid हैं। अगर ETF मे high Liquidity वाले stocks हैं। जैसे Nifty 50 
Market Makers & APs Activityजब Market Maker और APs  कम Active हैं। जब Market Maker और APs  ज्यादा  Active हैं। 
Global Events & Economic Newsजब कोई बड़ी खबर  या Global Event हो, जैसे US Fed Interest Rate Decision।जब कोई बड़ी खबर  या Global Event ना  हो, जैसे US Fed Interest Rate Decision।

Check Liquidity

High trading volumes वाले ETFs को Preference दें। Low liquidity वाले ETFs मे buy and sell से बचें।

Example –

 High volume

आप NSE की Website मे जाकर High Volume ETFs find कर सकते हैं।

Exchange Traded Funds(ETFs)

NSE के HOME PAGE पर थोड़ा नीचे View All का option है इस पर click करें।

 Exchange Traded Funds nseindia.com

फिर Exchange Traded Funds का Page open हो जएगा ,फिर दुबारा Exchange Traded Funds पर क्लिक करें।

Exchange Traded Funds nseindia.com

Next page open होगा इसमे volume मे और Volume in Crore मे filter use करिये फिर Excel File download कर लीजिये।

Exchange Traded Funds nseindia.com

हर ETF अलग अलग प्रकार के होते हैं  कुछ stocks में निवेश करते हैं, कुछ bonds में, और कुछ commodities  में। कुछ index-based ETFs और कुछ actively managed ETFs होते हैं।

कैसे पता करें –

जब आप excel file download करोगे तब underlying assets से आप जान जाओगे कि कौन Debt ETF है , कौन EQUITY ETF है ,कौन INDEX ETF है ,कौन ASSET (SILVER ,GOLD )है, कौन कमोडिटीज़ से रिलेटेड है जैसे GAS ,OIL अनाज आदि।

इसमे भी आपको सावधानी रखनी है कि एक UNDERLYING ASSETS के बहुत सारे ETFS मे से HIGH VOLUME ETF का चयन करना है।

जैसे FOR EXAMPLE GOLD के 10 ETF हैं पर आपको सबसे HIGH VOLUME ETF मे INVEST करना है वो भी आपके मूलधन का केवल 2 से 2.5 PERCENT RISK MANAGEMENT को ध्यान मे रखते हुए और वही पैसा लगाइए जो आप 1 से 2 साल के लिये भूलने को तैयार हो अगर MARKET DOWN TREND मे चली गयी तो LOSS BOOK ना करें PROFIT मे निकलने के लिए MARKET को TIME दे।

Gold ETF

Review Expense Ratio

ETFs के Management Charges कम होने चाहिए जिससे Long Term मे Profit कम ना हो। 

ETFs के Expense Ratio कहां चेक करें –

Expense Ratio
Expense Ratio

ETF vs Mutual Fund (Expense Ratio)

ParameterETFMutual Fund
Expense Ratio0.05% – 0.20%0.50% – 2.50%
ManagementPassive (Index Tracking)Active & Passive दोनों
Trading Costहां (Brokerage charges लगता है)नहीं
Liquidity Exchange पर Instant  buy/sellAMC से NAV पर खरीद सकते हैं
Minimum Investment1 शेयर से शुरू₹500 से SIP या Lumpsum
Exit Loadनहींहां (कुछ funds में)
Real-Time Pricingहां (Stock Market के हिसाब से)नहीं (NAV- based Pricing)
Tax Efficiencyअधिक (कम कैपिटल गेन टैक्स)Lower (Higher long-term tax)

Consider Trading Costs

  • Brokerage और अन्य  transaction costs को भी ध्यान में रखें।
  • Frequent trading करने से higher expenses देना पड़ेगा।

For Example –

Trading Cost

Analyze ETF Holdings

Holdings का diversification check करें।

For Example –

CPSE ETF की HOLDINGS –

Power Grid Corporation of India Ltd.Power – transmission
National Thermal Power Corporation Ltd.Power generation
Bharat Electronics Ltd.Aerospace & defense
Oil & Natural Gas Corporation Ltd.Oil exploration & production
Coal India Ltd.Coal
NHPC Ltd.Power generation
Oil India Ltd.Oil exploration & production
Cochin Shipyard Ltd.Ship building & allied services
NBCC (India) Ltd.Civil construction
NLC India Ltd.Power generation
SJVN Ltd.Power generation

Be Aware of Market Risks

Market मे जब गिरावट होती है तो shares की तरह ETF का रेट भी गिरता है अगर share 5 % down होगा to ETF 3 % गिरेगा।

इसलिए hold करे। Market को uptrend मे आने दें। High Volumes वाले ETF मे Invest करें।

Plan for Short-Term & Long-Term Investing

YouTube बहुत अच्छा माध्यम है Learn करने के लिए।

आप बहुत अच्छे youtuber जैसे Mahesh Chander Kaushik (Mahesh Kaushik) & FIRE in India, Mr Krishan Fulera (Retired at the age of 37 ) इनसे भी learn करके सही investment कर सकते हैं –

बिना Strategy के सफलता मिलना बहुत difficult होता है।

Diversify Your Investments

केवल एक ही Type के ETF मे Invest न करें। Different sectors और  asset classes से ETF choose करें। 

Understand Dividends & Tax Impact

Dividend कैसे adjust हो जाता है ETF मे और short-term and long-term capital gains tax की भी जानकारी लें।

Compare ETF Performance

  • हमेशा  ETFs comparison करें investing करने से पहले। 

जैसे आप Nifty 50 ETF मे Invest करना चाहते हो ,तो आप क्या करोगे

Nippon India Nifty 50 ETF

ICICI Prudential Nifty 50 ETF

SBI Nifty 50 ETF

UTI Nifty 50 ETF

Expense Ratio

Tracking Error

Liquidity

AUM (Assets Under Management)

  • ETF की Past performance को Analyze करें और  focus करें  long-term stability पर।
Arbitrage TradingFuture और Spot Price (Cash Market) के difference का Profit 
Inverse ETFsMarket गिरने पर उठते हैं। 
Covered Call Strategyमान लीजिए आपके पास XYZ ETF के 100 शेयर हैं और आप Covered Call Strategy अपनाते हैं:आप XYZ ETF के Call Option बेचते हैं और इसके बदले ₹5000 का प्रीमियम कमाते हैं।अगर ETF की कीमत नहीं बढ़ती या हल्की बढ़ती है, तो आपकी कमाई वही ₹5000 बनी रहेगी।अगर ETF की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई, तो आपको उसे तय कीमत पर बेचना पड़ सकता है, लेकिन तब भी आप प्रीमियम + शेयर प्रॉफिट कमा लेंगे।
Dividend ETFsअगर आपने एक Dividend ETF खरीदा और उसमें शामिल कंपनियां सालाना 5% डिविडेंड देती हैं, तो आपका निवेश बिना शेयर बेचे भी हर साल 5% का रिटर्न देगा।
Hedging with Gold/Sector ETFsMarket गिरने पर defensive ETF का use करना 

ETFs मे Hedging कैसे करते हैं ?

ETFs मे Hedging – Market गिरने पर defensive ETFs (Gold/Silver Sector ETFs) का use करें।

ETF मैं Arbitrage Trading क्या है ?

ETF की MARKET VALUE (Demand & Supply) और ETF के Assets की Total Value के DIFFERENCE का फायदा उठाना।

Inverse ETFs क्या होते है ?

ऐसे एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स हैं जो बाजार के गिरने पर लाभ प्रदान करते हैं।

Dividend ETFs क्या होता है ?

ये ETFs उन कंपनियों के शेयर रखते हैं जो हर साल या तिमाही में मुनाफे का एक हिस्सा (Dividend) अपने निवेशकों को बांटती हैं।
जब बाजार गिरे भी तब भी इन कंपनियों से डिविडेंड के रूप में नियमित कमाई (Passive Income) होती रहती है।
इससे कम रिस्क के साथ लॉन्ग-टर्म में स्थिर इनकम मिलती है।

ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets/Who Benefits from ETFs?/Is Investing in ETFs Safe?

हाँ, ETF safe  होते हैं, क्योंकि ETF real Stocks होल्ड करते हैं , जो असली assets  को represent  करते हैं। 

sponsors और  authorized participants (APs) दोनों के पास  securities  रहती है, 

इसलिए bankrupt  होने की संभावना कम होती है।

  • Low risk
  • Diversification
  • Low cost
  • High liquidity

Thank You ,

हमारा प्रयास आपको कैसा लगा जरूर बताए।

Important Disclaimer: Read Before You Trade

इस लेख मे दी गयी सारी जानकारी केवल सीखने और समझने के लिए है। जिससे आप किसी की कही सुनी बातों मे ना आए। यह लेख आपकी सहायता के लिए लिखा गया है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से  परामर्श लें। निवेश का निर्णय लेने से पहले खुद से पूरा विश्लेषण करें । इस लेख के उपयोग करने से होने वाली किसी भी नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। यह लेख  सिर्फ आपकी एजुकेशनल सहायता करने के लिए लिखा गया है।

Bindu Pande

Welcome to Stock Overview! Expand your knowledge about the stock market and invest smarter.

View all posts by Bindu Pande

Leave a Comment