हम सभी जानते हैं कि ETFs का मतलब EXCHANGE TRADED FUND होता है। क्योकि यह SHARES की तरह STOCK EXCHANGE मे TRADE करता है। ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets आइए जानते हैं कैसे –
Inverse ETF, Arbitrage Trading (ETF Creation) , Defensive ETF (Gold ,Silver) से Profit बनाया जा सकता है।Exchange Traded Fund (ETFs ) – Investment का एक Smart , easy और effective ऑप्शन है।
लेकिन ACTUALLY मे ETF क्या है , What is ETF Creation? इसे Risk- Free, Safe Earning– option क्यों कहा जाता है, पहले इसे समझने की कोशिश करते हैं।
ETF CREATION का मतलब एक नई ETF बनाने की PROCESS, जहां स्टॉक्स, बॉन्ड्स या अन्य एसेट्स को मिलाकर एक नया ETF तैयार किया जाता है, फिर इसकी UNITS को Market में Trade किया जाता है, जिससे INVESTORS को EASY- WAY मे INVEST करने का OPTION मिलता है।
STOCKS | BONDS | ASSETS |
MIX ALL OF THESE TOGETHER – STOCKS+BONDS+ASSETS |
PRODUCT= ETF UNITS (combining various assets like stocks, bonds, commodities, and gold-silver) |
अब इसकी units किसी individual stock की तरह market मे Trade होती है।
आप इसे बिल्कुल SIMPLE- WAY मे भी समझ सकते हैं जैसे मिठाई वाले , FRUIT वाले , बुके वाले की SHOP –
मान लीजिये आपको मिठाई खरीदनी है, अब आप मिठाई वाले की दुकान मे जाते हैं और वहां देखते हैं कि हर प्रकार की मिठाइयाँ available है, जैसे
बर्फी 500 रूपए किलो ,
लड्डू 350 रूपए किलो ,
काजू कतली 800 रूपए किलो ,
रसगुल्ला 450 रुपए किलो ,
बालूशाही 250 रूपए किलो ,
कलाकंद 550 रूपए किलो।
अब आपको अगर मिक्स मिठाई लेनी है ONE KG , तो दुकानदार सबको मिक्स करके एक बॉक्स बना देगा ONE KG का, तो उसने आपको एक यूनिट बेची हर मिठाई मे से एक- एक मिठाई डालकर।
मिठाई दुकान वाले की इस image को ध्यान से देखिए same concept, Bonds, commodities ,shares ,assets class (gold ,silver) का stock mix करके एक new ETF की यूनिट बन जाती है। अब इसके यूनिट्स मार्किट मे TRADE होते हैं ।

मिठाई की तरह Fruits से भी आप यही concept समझ सकते हैं और flower के बुके से भी।

इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं जैसे आपने एक थैली में अलग-अलग कंपनियों के शेयर मिलाकर रख दिए हों, और उस थैली को बाजार में बेच रहे हों।

What is ETF Creation?
ETF CREATION कैसे होता है ,अब पूरे PROCESS को आसान शब्दों मे समझते हैं। ETF क्रिएशन में दो मुख्य PARTY शामिल होती है।
1. ETF Sponsor
2. Authorized Participant (AP)
Who is an ETF Sponsor ?
Mutual फण्ड की Asset Management Company (AMC ) ही ETF Sponsor का काम करती हैं ETF Plan और Launch करती है।
जैसे
- Nippon India
- HDFC Asset Management Company
- ICICI Prudential Asset Management Company
- SBI Asset Management Company
- Axis Bank Asset Management Company
- Aditya Birla Sun Life AMC

Purpose of Asset Management Company (AMC)-
Asset Management Company इन्वेस्टर्स से Money कलेक्ट करती है और इसे Mutual Funds ,Stocks ,Bonds ,या Real Estate मे Invest करती है। इनका Main goal होता है Investor के पैसों को grow करना और safe रखना।
Role of AMC (Asset Management Company)
Planning the ETF
Asset Management Company (AMC) , ETF Sponsor के लिये responsible होती हैं।
ETF Sponsor सबसे पहले प्रोजेक्ट बनाता है, कि वह किस प्रकार का ETF Market मे लाएगा।
Nifty Based ,
Bank Nifty Based,
or themed Based
Approvals and Licensing
ETF Sponsor, SEBI (Securities and Exchange Board of India) से necessary approval लेती है,
NSE (National Stock Exchange) मे List करने के लिये या
BSE (Bombay Stock Exchange) मे।
Marketing and Promotion
Asset Management Company ETF का Promotion और Marketing करने के लिए TV, social media, websites,और दूसरी advertising channels का उपयोग करती हैं। इनका goal होता है ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस ETF में Invest करने के लिए encourage करना।
मान लीजिये एक fund house या Asset Management Company (AMC ) एक ETF Launch करती है 150 करोड़ का, अब 150 करोड़ का project बनाने के लिए ये अपना fund इस्तेमाल नहीं करते। इसके बजाय, वे आवश्यक धन जुटाने के लिए Authorized Participants (APs) के साथ मिलकर काम करते हैं।
ETF Sponsor (AMC): Short Summary
Launches and Manages the ETF–AMC (Asset Management Company) बज़ार मे ETF create और introduce करती है।
Gets SEBI (Securities and Exchange Board of India) Approval – ETF launch करने से पहले , AMC को SEBI से approval लेना पड़ता है।
Determines Investment Strategy – यह Decides करता है की ETF किस index or assets को TRACK करेगा जैसे NIFTY 50, Gold, etc.
Creates and Redeems ETF Units – जब demand increases होती है तो Authorized Participants (APs) ETF Sponsor से new ETF units CREATE करवाते है। जब supply बढ़ती है तो Authorized Participants (APs) ETF यूनिट्स redeem भी करवाते हैं।
Ensures Liquidity – Market Makers के साथ Collaborate करके ETF की Liquidity को maintain किया जाता है जिससे ETF आसानी से खरीदा और बेचा जा सके।
Manages Fund Assets – ETF में मौजूद securities (स्टॉक्स और अन्य एसेट्स) की buying & Selling को मैनेज करता है ताकि यह अपने Index के साथ align होकर Index को सही से ट्रैक कर सके।
Keeps Costs Low –AMC कोशिश करता है कि ETF का expense ratios कम (low) रहे जिससे investors को better returns मिले।
Who is an Authorized Participant (AP)?
ये Share Market के बड़े Investor or Broker होते हैं ,जो Stock Exchange से Shares का बड़ा हिस्सा खरीदते हैं और ETF Sponsor को देते हैं ETF creation के लिये। इनके पास बहुत सारा पैसा और लाइसेंस होता है।

How Does It Work?
Buying Stocks
मान लीजिये Authorized Participant अगर Nifty 50 के 50 stocks पर ETF बना रहे हैं तो निफ्टी 50 में शामिल सभी 50 कंपनियों के शेयर उसी अनुपात में खरीदे जाते हैं, जिस अनुपात में वे इंडेक्स में होते हैं।
Creation Unit
Authorized Participant स्टॉक एक्सचेंज से खरीदे गए Shares को अपने Demat Account मे hold करते हैं और ETF Sponsors के Demat Account मे Transfer कर देते हैं
जिससे कैश ट्रांसफर नहीं होता, Demat to Demat Account Transfer होता है।
Cash का लेन-देन नहीं होने के बजाय शेयरों का एक्सचेंज होता है। इसलिए इसमें स्टॉम्प ड्यूटी या अन्य चार्जेस नहीं लगते।
इससे दोनों ETF Sponsors और Authorized Participant (AP ) दोनों को प्रोफ़िट होता है।
इसके अतिरिक्त एक large Quantity hold करने से Demat Account मे Dividend भी मिलता है।
इससे भी ETF Sponsors को Profit होता है ,ETF Sponsors एक छोटा सा charge Management फीस के रूप मे Authorized Participant से लेता है इस प्रकार भी ETF Sponsors को profit मिलता है।
ETF Creation के बाद ETF Sponsors , Authorized Participant (AP ) को ETF यूनिट्स लोटा देते हैं।
अब इन ETF Units को स्टॉक एक्सचेंज मे Trade किया जाता है।
इसमे High Volume Trading (Arbitrage Trading) से profit earn किया जाता है।
Authorized Participant बड़ी मात्रा मे Trading करते हैं जिससे छोटे -छोटे 1 या 2 रूपए का PROFIT भी भारी मुनाफे मे बदल जाता है ।
ETF Arbitrage Trading – Authorized Participant (AP) का Profit
आर्बिट्राज मे दो Stock Exchange के बीच में, एक ही Share को, Prices के बीच में जो difference होता है, उसका फायदा लेने के लिए एक जगह बेच दिया जाता है और एक जगह खरीद लिया जाता है।

लेकिन ईटीएफ एक इंडेक्स पर बना होता है या इंडेक्स को track करता है। तो वहां से इंडेक्स अगर बढ़ता है तो ईटीएफ भी बढ़ेगा लेकिन कभी-कभी इंडेक्स अगर बढ़ रहा है और ईटीएफ में सेलिंग होती है तो यहॉं पर Price मे difference हो जएगा। यहां पर 50 पैसा से एक रुपया तक का डिफरेंस भी देखने को मिल जाएगा।
Index क्यों बढ़ता है – क्योंकि Market प्राइस Demand & Supply पर चलती है। तो अगर मार्किट मे Demand बढ़ेगी तो Market Value बढ़ेगी।
ETF मे Selling का मतलब – ETF जिन ASSETS से मिलकर बनता है जैसे स्टॉक,बांड्स, गोल्ड, सिल्वर ,कमोडिटीज़ तो ETF की ACTUAL VALUE इन Assets की total value होती है।
ये Market hours मे 10 से 15 second के अंतर मे update होती रहती है तो इसे INAV (Indicated Net Asset Value) कहते हैं। और अगर मॉर्केट क्लोज होने के बाद update होती है तो इसे NAV (Net Asset value) कहते हैं।
authorized Participants (APs) और Market Makers इस Price के difference से profit earn करते हैं क्योंकि उनकी capital high value capital होती है जैसे 100 करोड़। तो, 50 Paisa का difference भी बहुत बड़ा होता है।
लेकिन अगर आप दूसरा पहलू देखें तो authorized Participants (APs) और Market Makers का काम है, market मे लिक्विडिटी बनाए रखना। Market Value और NAV के बीच के डिफरेंस को कम करना। जिससे आम रिटेलर्स भी सही Price पर ETF buying कर सके।
Arbitrage Trading की वजह से ETF की Market Value और NAV (INAV) के बीच ज्यादा फर्क नहीं आता।
मान लीजिए “Nifty 50 ETF” है, जिसका INAV = ₹250 (यानी इसके अंदर के Shares की Value ₹250 के बराबर है) लेकिन Market में इसका Price ₹255 पर ट्रेड हो रहा है
मतलब यह है की वह अपने price से 5 रूपए अधिक (Price- Premium) पर ट्रेड हो रहा है authorized Participants (APs) और Market Makers यहॉं पर क्या करेंगे ! ETF को SELL करेंगे जिससे उसकी कीमत गिरकर 250 तक आ जाए।
अब मान लीजिए किसी कारण ETF 245 रूपए पर Trade होने लगता है।
मतलब कम रेट पर या DISCOUNTED RATE पर।
यहाँ authorized Participants (APs) और Market Makers ETF को खरीद लेंगे (Buy), जिससे इसकी कीमत बढ़ेगी और यह 250रूपए के आसपास आ जाएगी।इस प्रकार मार्केट पार्टिसिपेंट्स जैसे Authorized Participants (APs) और Market Makers इस अंतर को कम करने का काम करते हैं।
MARKET PRICE और INAV का DIFFERENCE इस IMAGE मे देखिए –

कोई भी ETF BUY करते समय उसकी CURRENT MARKET VALUE और ETF की TOTAL ASSET VALUE का DIFFERENCE जरूर देखें जिससे सही VALUE पर आप MONEY INVEST करें।
Market Maker
अगर हम एक Trader हैं तो हम यही चाहेंगे की हमे Shares, buy & Sell करने मे कोई दिक्कत ना हो। और सही कीमत पर trading करे।

अगर किसी ETF का Spread ज्यादा हो जाता है, तो Market Maker बीच मे आतें हैं या Active हो जाते हैं है, और Buy-Sell करके Spread को कम करते है।
एक Example से समझते हैं मान लीजिए किसी ETF का
Buy Price (Bid)= Rs 100
Sell Price (Ask)= Rs 105
यहाँ Spread = ₹105 – ₹100 = 5 रूपए (जो ज्यादा है)।
100 ,101 ,102,103,104, 105
Market Maker देखता है कि Spread बहुत ज्यादा है और Market में Liquidity कम है।
100 ,101 ,102,103,104, 105
वह Rs. 101 पर खरीदने और Rs. 104 पर बेचने का ऑर्डर डाल सकता है।
अब Buy-Sell Price घटकर 101 रूपए और 104 रूपए हो जाते हैं, जिससे Spread ₹3 हो जाता है।
इससे मार्केट ज्यादा स्टेबल हो जाता है और ट्रेडिंग आसान हो जाती है।
Market Maker क्यों ऐसा करता है?
Market Makers कम कीमत पर खरीदते हैं और ज्यादा कीमत पर sale order place कर रहे हैं तो उनको profit हो रहा है।
high spread होने से Trading slow हो जाती है इसलिए Market Maker मार्किट को active रखने के लिए Spread कम करते हैं।
Market Makers का काम है Trading को Smooth और Efficient बनाना और investors को Fair Price पर Buy/Sell का मौका देना।
SLB – Securities Lending and Borrowing से Passive Income
Lending और borrowing स्टॉक मार्किट मे ऐसा process है जिसमे shares या securities को उधार दिया या लिया जाता है। Share Market में बिना ट्रेड किए भी SLB (Securities Lending and Borrowing) से Earning की जा सकती है!

Shares या securities को temporary transfer किया जाता है, लेकिन बाद में उन्हें वापस करना होता है। इसे दो हिस्सों में समझ सकते हैं:
Lending (उधार देना) – जब किसी Investor के पास Shares होते हैं और वह उन्हें temporary कुछ समय के लिए किसी और को देने के बदले fixed fees या Interest कमाता है। मतलब इस system से लेंडर्स को अतिरिक्त आय (Extra Income) कमाने का मौका मिलता है। Borrower को Profit हो या Loss लेकिन आप अपने Demat में रखे हुए शेयरों को उधार दे कर भी किराया कमा सकते हैं।
चूंकि Lender को फिक्स रिटर्न मिलता है और रिस्क Borrower का होता है, इसलिए कई बड़े निवेशक SLB के जरिए Passive Income कमाते हैं।
Borrowing (उधार लेना) – जब कोई Trader या Investor शेयरों को उधार लेता है (अक्सर short-selling के लिए) और तय समय के बाद उन्हें वापस करता है एक fixed fees या Interest के साथ।
Borrower के Profit या Loss का Lender की फीस या Interest पर कोई असर नहीं पड़ता।
Shares, Fixed Interest के साथ Lander के account मे वापस transfer कर दिए जाते हैं।
इसमें Shares की ownership नहीं बदलती , सिर्फ temporary रूप से Shares का उपयोग किया जाता है।
यह सिस्टम ट्रेडर्स को कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने की सुविधा देता है
अब Short Selling को भी समझ लेते हैं –
Example – Tata Motors
मान लीजिए कि एक ट्रेडर को लगता है कि Tata Motors के शेयर की कीमत 500 रूपए से गिरकर 450 रूपए हो जाएगी। वह इस पर शॉर्ट सेलिंग करके मुनाफा कमाने की कोशिश करता है।
Borrowing – ट्रेडर अपने ब्रोकरेज से 100 शेयर उधार लेता है और 500 रूपए मे call Short कर देता है मतलब वह 100 शेयर 500 रूपए प्रति शेयर की कीमत पर बाजार में बेच देता है।
Selling- तो Total Selling Price = ₹500 × 100 = ₹50,000
Buying Back– कुछ दिनों के बाद Tata Motors की price गिरकर 450 रूपए आ जाती है अब 450 रूपए lower price मे दुबारा 100 Shares खरीद लिए जाते हैं।
Total Buying Price = ₹450 × 100 = ₹45,000
Profit Calculation:
Selling Price – Buying Price = ₹50,000 – ₹45,000 = ₹5,000 profit
Returning Shares – अब Trader इन 100 शेयरों को lender (brokerage) को वापस कर देता है।
लेकिन अगर शेयर की कीमत बढ़कर ₹550 हो जाती, तो उसे ₹55,000 में वापस खरीदना पड़ेगा। और ₹5,000 का नुकसान होगा । Borrower 100 shares lander को return करेगा और साथ मे Fix interest भी देगा। ब्याज (interest) का भुगतान ट्रेडिंग नियमों और लेंडिंग एग्रीमेंट पर निर्भर करेगा।
इसलिए Share Market मे Lending or borrowing (Securities Lending and Borrowing) SLB से भी EARNING की जाती है
5 STEPS मे सीखें – NSE की WEBSITE से SLB (Securities Lending and Borrowing ) FIND करना
आप Equity Market से Best Stock Find करके अपना stock का पोर्टफोलियो develop कर सकते हैं फिर उसको Rent पर या अपने स्टॉक को लेंडिंग कर सकते हैं आइए समझते हैं हम कैसे SLB STOCK AUR उसका RATE CHECK करेंगे।
STEP 1 – NSE (National Stock Exchange of India Ltd ) की Official Website nseindia.com को अपने browser मे open करें।

STEP 2 – Home Page खुलने के बाद, आप Market Data पर क्लिक करेंगे।

STEP 3 – अब आप MARKET DATA के अंदर Securities Lending and Borrowing पर CLICK करेंगे।

STEP 4 – Securities Lending and Borrowing के अंदर 2 Series होती हैं
Series A – अगर Series A Agreement में ऐसा provision दिया गया है, तो AGM (Annual General Meeting) या EGM (Extraordinary General Meeting) की record date से एक दिन पहले Foreclosure हो सकता है।
Foreclosure का मतलब है कि bond या investment agreement समय से पहले close कर दिया जाता है
Series B – इसमे Series A की तरह नहीं होता इसलिए Series B मे Liquidity ज्यादा होती है।
Series B पर क्लिक करेंगे और current month और आगे के months की liquidity भी चेक करेंगे।

STEP-5 अब समझते हैं क्या होता है BEST BID ,BEST OFFERS , UNDERLYING LTP ,FUTURES LTP, SPREAD-

BEST BID– जिस PRICE पर और जितने Quantity मे शेयर Borrower को चाहिए।
for Example – 2500 X 5.50 = 13,750.00
BEST OFFERS– Lender के पास कितनी Quantity है और वह किस price पर अपने shares को Lend कराना चाहता है।
for Example – 200 Shares हैं
कोई 6.70 पर Shares lend करना चाहता है।
LTP – किसी ने 6.85 paisa भी Lending Rate लगा रखा है।
UNDERLYING LTP– Cash Market का Last Traded Price
FUTURES LTP– Future Market का Last Traded Price
SPREAD– Cash Market का Last Traded Price & Future Market का Last Traded Price का डिफरेंस Spread कहलाता है।
अपने Broker से contact करें। Customer Care पर बात करें SLB enable करवाएं।
अपने stock को lend करें। और बिना कुछ बेचे Passive Income earn करें।
Short selling मे listed stock को Equity Market से buy करके धीरे -धीरे एक portfolio बनाइये, जिसे आप Rent पर दे सकें।
Buy-Sell Spread कब बढ़ता और कब घटता है?
Factor (Cause) | Spread Increases | Spread Decreases |
Market Conditions | जब Market मे High Volatility होती है। | जब market, stable होती है |
Liquidity (Trading Volume) | जब ETF मे Low Volume होता है। जिससे उस दिन Trading बहुत कम होती है। | जब High volume होता है। |
Trading Time | 9:15 AM (Opening) and after 3:15 PM (Closing) Spread Increase हो जाता है। | 11 AM – 2 PM, के बीच मे जब market सबसे ज्यादा active होती है। |
Assets Inside the ETF | जब ETF के अंदर के ASSETS कम Liquid हैं। | अगर ETF मे high Liquidity वाले stocks हैं। जैसे Nifty 50 |
Market Makers & APs Activity | जब Market Maker और APs कम Active हैं। | जब Market Maker और APs ज्यादा Active हैं। |
Global Events & Economic News | जब कोई बड़ी खबर या Global Event हो, जैसे US Fed Interest Rate Decision। | जब कोई बड़ी खबर या Global Event ना हो, जैसे US Fed Interest Rate Decision। |
10. Precautions to Keep in Mind While Investing in ETFs
Check Liquidity
High trading volumes वाले ETFs को Preference दें। Low liquidity वाले ETFs मे buy and sell से बचें।
Example –

आप NSE की Website मे जाकर High Volume ETFs find कर सकते हैं।

NSE के HOME PAGE पर थोड़ा नीचे View All का option है इस पर click करें।

फिर Exchange Traded Funds का Page open हो जएगा ,फिर दुबारा Exchange Traded Funds पर क्लिक करें।

Next page open होगा इसमे volume मे और Volume in Crore मे filter use करिये फिर Excel File download कर लीजिये।

Understand the Type of ETF
हर ETF अलग अलग प्रकार के होते हैं कुछ stocks में निवेश करते हैं, कुछ bonds में, और कुछ commodities में। कुछ index-based ETFs और कुछ actively managed ETFs होते हैं।
कैसे पता करें –
जब आप excel file download करोगे तब underlying assets से आप जान जाओगे कि कौन Debt ETF है , कौन EQUITY ETF है ,कौन INDEX ETF है ,कौन ASSET (SILVER ,GOLD )है, कौन कमोडिटीज़ से रिलेटेड है जैसे GAS ,OIL अनाज आदि।
इसमे भी आपको सावधानी रखनी है कि एक UNDERLYING ASSETS के बहुत सारे ETFS मे से HIGH VOLUME ETF का चयन करना है।
जैसे FOR EXAMPLE GOLD के 10 ETF हैं पर आपको सबसे HIGH VOLUME ETF मे INVEST करना है वो भी आपके मूलधन का केवल 2 से 2.5 PERCENT RISK MANAGEMENT को ध्यान मे रखते हुए और वही पैसा लगाइए जो आप 1 से 2 साल के लिये भूलने को तैयार हो अगर MARKET DOWN TREND मे चली गयी तो LOSS BOOK ना करें PROFIT मे निकलने के लिए MARKET को TIME दे।

Review Expense Ratio
ETFs के Management Charges कम होने चाहिए जिससे Long Term मे Profit कम ना हो।
ETFs के Expense Ratio कहां चेक करें –


ETF vs Mutual Fund (Expense Ratio)
Parameter | ETF | Mutual Fund |
Expense Ratio | 0.05% – 0.20% | 0.50% – 2.50% |
Management | Passive (Index Tracking) | Active & Passive दोनों |
Trading Cost | हां (Brokerage charges लगता है) | नहीं |
Liquidity | Exchange पर Instant buy/sell | AMC से NAV पर खरीद सकते हैं |
Minimum Investment | 1 शेयर से शुरू | ₹500 से SIP या Lumpsum |
Exit Load | नहीं | हां (कुछ funds में) |
Real-Time Pricing | हां (Stock Market के हिसाब से) | नहीं (NAV- based Pricing) |
Tax Efficiency | अधिक (कम कैपिटल गेन टैक्स) | Lower (Higher long-term tax) |
Consider Trading Costs
- Brokerage और अन्य transaction costs को भी ध्यान में रखें।
- Frequent trading करने से higher expenses देना पड़ेगा।
For Example –

Analyze ETF Holdings
Holdings का diversification check करें।
For Example –
CPSE ETF की HOLDINGS –
Power Grid Corporation of India Ltd. | Power – transmission |
National Thermal Power Corporation Ltd. | Power generation |
Bharat Electronics Ltd. | Aerospace & defense |
Oil & Natural Gas Corporation Ltd. | Oil exploration & production |
Coal India Ltd. | Coal |
NHPC Ltd. | Power generation |
Oil India Ltd. | Oil exploration & production |
Cochin Shipyard Ltd. | Ship building & allied services |
NBCC (India) Ltd. | Civil construction |
NLC India Ltd. | Power generation |
SJVN Ltd. | Power generation |
Be Aware of Market Risks
Market मे जब गिरावट होती है तो shares की तरह ETF का रेट भी गिरता है अगर share 5 % down होगा to ETF 3 % गिरेगा।
इसलिए hold करे। Market को uptrend मे आने दें। High Volumes वाले ETF मे Invest करें।
Plan for Short-Term & Long-Term Investing
YouTube बहुत अच्छा माध्यम है Learn करने के लिए।
आप बहुत अच्छे youtuber जैसे Mahesh Chander Kaushik (Mahesh Kaushik) & FIRE in India, Mr Krishan Fulera (Retired at the age of 37 ) इनसे भी learn करके सही investment कर सकते हैं –
बिना Strategy के सफलता मिलना बहुत difficult होता है।
Diversify Your Investments
केवल एक ही Type के ETF मे Invest न करें। Different sectors और asset classes से ETF choose करें।
Understand Dividends & Tax Impact
Dividend कैसे adjust हो जाता है ETF मे और short-term and long-term capital gains tax की भी जानकारी लें।
Compare ETF Performance
- हमेशा ETFs comparison करें investing करने से पहले।
जैसे आप Nifty 50 ETF मे Invest करना चाहते हो ,तो आप क्या करोगे
सबसे पहले देखेंगे कौन -कौन से ETF हैं जो Nifty 50 को ट्रैक करते हैं।
Nippon India Nifty 50 ETF
ICICI Prudential Nifty 50 ETF
SBI Nifty 50 ETF
UTI Nifty 50 ETF
क्या compare करेंगे ?
Expense Ratio
Tracking Error
Liquidity
AUM (Assets Under Management)
- ETF की Past performance को Analyze करें और focus करें long-term stability पर।
ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets
Arbitrage Trading | Future और Spot Price (Cash Market) के difference का Profit |
Inverse ETFs | Market गिरने पर उठते हैं। |
Covered Call Strategy | मान लीजिए आपके पास XYZ ETF के 100 शेयर हैं और आप Covered Call Strategy अपनाते हैं:आप XYZ ETF के Call Option बेचते हैं और इसके बदले ₹5000 का प्रीमियम कमाते हैं।अगर ETF की कीमत नहीं बढ़ती या हल्की बढ़ती है, तो आपकी कमाई वही ₹5000 बनी रहेगी।अगर ETF की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई, तो आपको उसे तय कीमत पर बेचना पड़ सकता है, लेकिन तब भी आप प्रीमियम + शेयर प्रॉफिट कमा लेंगे। |
Dividend ETFs | अगर आपने एक Dividend ETF खरीदा और उसमें शामिल कंपनियां सालाना 5% डिविडेंड देती हैं, तो आपका निवेश बिना शेयर बेचे भी हर साल 5% का रिटर्न देगा। |
Hedging with Gold/Sector ETFs | Market गिरने पर defensive ETF का use करना |
ETFs मे Hedging कैसे करते हैं ?
ETFs मे Hedging – Market गिरने पर defensive ETFs (Gold/Silver Sector ETFs) का use करें।
ETF मैं Arbitrage Trading क्या है ?
ETF की MARKET VALUE (Demand & Supply) और ETF के Assets की Total Value के DIFFERENCE का फायदा उठाना।
Inverse ETFs क्या होते है ?
ऐसे एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स हैं जो बाजार के गिरने पर लाभ प्रदान करते हैं।
Dividend ETFs क्या होता है ?
ये ETFs उन कंपनियों के शेयर रखते हैं जो हर साल या तिमाही में मुनाफे का एक हिस्सा (Dividend) अपने निवेशकों को बांटती हैं।
जब बाजार गिरे भी तब भी इन कंपनियों से डिविडेंड के रूप में नियमित कमाई (Passive Income) होती रहती है।
इससे कम रिस्क के साथ लॉन्ग-टर्म में स्थिर इनकम मिलती है।
Conclusion
ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets/Who Benefits from ETFs?/Is Investing in ETFs Safe?
हाँ, ETF safe होते हैं, क्योंकि ETF real Stocks होल्ड करते हैं , जो असली assets को represent करते हैं।
sponsors और authorized participants (APs) दोनों के पास securities रहती है,
इसलिए bankrupt होने की संभावना कम होती है।
Market Risk
ETF का Price उस Index या assets के हिसाब से ऊपर-नीचे होता है, जिसपर वो based होता है। इसलिए बाजार में volatility का रिस्क बना रहता है।
How to Earn from ETFs (In Simple Terms)
Buy When the Market Drops
Sell When the Market Rises
Check the Difference Between INAV and Market Price
ETFs are a smart and safe way to invest, offering
- Low risk
- Diversification
- Low cost
- High liquidity
Thank You ,
हमारा प्रयास आपको कैसा लगा जरूर बताए।
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Important Disclaimer: Read Before You Trade–
इस लेख मे दी गयी सारी जानकारी केवल सीखने और समझने के लिए है। जिससे आप किसी की कही सुनी बातों मे ना आए। यह लेख आपकी सहायता के लिए लिखा गया है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। निवेश का निर्णय लेने से पहले खुद से पूरा विश्लेषण करें । इस लेख के उपयोग करने से होने वाली किसी भी नुकसान के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। यह लेख सिर्फ आपकी एजुकेशनल सहायता करने के लिए लिखा गया है।
Contents
- 1 What is ETF Creation?
- 2 Who is an ETF Sponsor ?
- 3 Who is an Authorized Participant (AP)?
- 4 ETF Arbitrage Trading – Authorized Participant (AP) का Profit
- 5 Market Maker
- 6 SLB – Securities Lending and Borrowing से Passive Income
- 7 5 STEPS मे सीखें – NSE की WEBSITE से SLB (Securities Lending and Borrowing ) FIND करना
- 8 Buy-Sell Spread कब बढ़ता और कब घटता है?
- 9 10. Precautions to Keep in Mind While Investing in ETFs
- 9.1 Check Liquidity
- 9.2 Understand the Type of ETF
- 9.3 Review Expense Ratio
- 9.4 ETF vs Mutual Fund (Expense Ratio)
- 9.5 Consider Trading Costs
- 9.6 Analyze ETF Holdings
- 9.7 Be Aware of Market Risks
- 9.8 Plan for Short-Term & Long-Term Investing
- 9.9 Diversify Your Investments
- 9.10 Understand Dividends & Tax Impact
- 9.11 Compare ETF Performance
- 10 ETF से Risk-Free कमाई के Best Secrets
- 11 Conclusion