कल शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार, खासकर सेंसेक्स में भारी गिरावट देखने को मिली।
आइए जानते हैं Share Market update 26 july 2025:कल बाज़ार क्यों गिरा ?
25 जुलाई 2025: सेंसेक्स में गिरावट के 10 प्रमुख कारण
1. वित्तीय शेयरों पर दबाव (Financial Stocks Under Pressure)
बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व जैसे प्रमुख वित्तीय शेयरों में 4.5% से 5.5% तक की गिरावट आई। इसके पीछे MSME सेगमेंट में एसेट क्वालिटी को लेकर बढ़ती चिंता प्रमुख वजह रही।

MSME सेगमेंट में एसेट क्वालिटी को लेकर बढ़ती चिंता — इसका मतलब क्या है?
MSME का मतलब है Micro, Small & Medium Enterprises यानी छोटे-छोटे बिज़नेस।
बैंक इन MSME बिज़नेस को लोन देते हैं। लेकिन अगर ये बिज़नेस सही से नहीं चल रहे, या लोन समय पर नहीं चुका पा रहे, तो बैंक की “Asset Quality” पर असर पड़ता है।
एसेट क्वालिटी क्या होती है?
Asset Quality का मतलब होता है:
बैंक ने जो पैसा लोन के रूप में दिया है, वह वापस आएगा या नहीं — उसकी “गुणवत्ता”।
आसान भाषा में:
अगर लोन समय पर मिल जाए = अच्छी Asset Quality
अगर लोन फँस जाए (NPA बन जाए) = खराब Asset Quality
तो जब कहा गया: “MSME सेगमेंट में एसेट क्वालिटी को लेकर चिंता है” — तो मतलब क्या हुआ?
इसका मतलब:
MSME सेक्टर में कई बिज़नेस लोन चुका नहीं पा रहे हैं या उनके डिफॉल्ट करने का खतरा बढ़ रहा है। इससे बैंक का पैसा फँस सकता है और उनकी Asset Quality खराब हो सकती है।
बैंकिंग सेक्टर में गिरावट इसलिए देखी जा रही है क्योंकि छोटे बिज़नेस (MSME) समय पर लोन नहीं चुका पा रहे हैं, जिससे बैंक की Asset Quality पर खतरा बढ़ गया है।
साथ ही HDFC बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे दिग्गजों में भी लगभग 1% की गिरावट देखी गई।
2. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता (Uncertainty Over India–US Trade Deal)
1 अगस्त की डेडलाइन नजदीक है, लेकिन कृषि और डेयरी उत्पादों पर टैरिफ को लेकर बातचीत अधर में है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का वॉशिंगटन से बिना समझौते के लौटना बाजार को निराश कर गया।

1 अगस्त तक भारत और अमेरिका को कृषि और डेयरी टैरिफ पर कोई समझौता करना है। लेकिन अब 1 अगस्त आने ही वाला है — और अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ।
भारत का सरकारी दल (delegation) अमेरिका की राजधानी से बातचीत करके भारत वापस आ गया, लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया।
टैरिफ विवाद
मान लीजिए:
अमेरिका भारत को “Cheese” या “Milk Powder” बेचता है। भारत, इन पर 60% आयात शुल्क (Import Tariff) लगाता है।
इसका मतलब: अगर कोई चीज़ अमेरिका में ₹100 की है, तो भारत में उसका दाम बन जाएगा ₹160 (100 + 60% टैक्स)
यानी उत्पाद भारत में महंगे हो जाते हैं।
अब अमेरिका क्या चाहता है?
अमेरिका चाहता है कि भारत इस 60% टैक्स को घटा दे,
ताकि:
- उनके उत्पाद (Cheese, Milk Powder वगैरह) भारत में सस्ते बिक सकें
- उन्हें भारत में ज़्यादा बिक्री और मुनाफा मिल सके
- भारत का बाज़ार अमेरिका के लिए खुला और आकर्षक बने

लेकिन भारत क्या सोचता है?
भारत अपने घरेलू किसानों और डेयरी इंडस्ट्री को बचाना चाहता है। अगर सस्ते अमेरिकी उत्पाद भारत में आ गए, तो देसी उत्पाद बेचने वालों को नुकसान होगा।
इसलिए भारत टैरिफ कम करने से झिझक रहा है।
अमेरिका चाहता है कि भारत “Cheese और Milk Powder” पर लगने वाला टैक्स घटाए, ताकि उनके प्रोडक्ट भारत में सस्ते होकर ज़्यादा बिक सकें — लेकिन भारत अपने किसानों को बचाने के लिए ऐसा नहीं करना चाहता।

कृषि टैरिफ (Agricultural Tariff) का मतलब क्या होता है?
कृषि टैरिफ यानी:खेती से जुड़े सामान (जैसे गेहूं, चावल, सब्ज़ियाँ, दालें, फल, बीज, खाद, आदि) पर लगाया जाने वाला आयात-निर्यात कर (Import-Export Tax)
Trade में इसका मतलब क्या होता है?
जब कोई देश दूसरे देश से खेती से जुड़ी चीज़ें खरीदता (Import) है, तो उस पर कुछ % टैक्स लगता है। इसी टैक्स को Agricultural Tariff कहते हैं।
उदाहरण:
| कृषि उत्पाद | अमेरिका से आयात | भारत का टैरिफ |
|---|---|---|
| गेहूं | हां | 40% टैक्स |
| बादाम | हां | 35% टैक्स |
| सेब | हां | 50% टैक्स |
अमेरिका चाहता है कि भारत ये टैक्स कम करे
लेकिन भारत अपने किसानों की सुरक्षा के लिए इसे कम नहीं कर रहा
इसी पर विवाद चल रहा है
क्यों ज़रूरी है ये टैरिफ?
अपने देश के किसानों की सुरक्षा के लिए
विदेशी सस्ते माल से घरेलू मंडी बचाने के लिए
सरकार को राजस्व (Revenue) मिलता है
Agricultural Tariff वह टैक्स है जो भारत, खेती से जुड़े विदेशी सामान पर लगाता है — ताकि अपने किसानों और बाजार को सस्ते विदेशी माल से बचाया जा सके।
3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
FIIs ने पिछले 4 सत्रों में ₹11,500 करोड़ से अधिक की बिकवाली की है। लगातार आउटफ्लो छोटे और मिडकैप शेयरों पर भारी पड़ा।
FII/FPI & DII Trading Activity on NSE, BSE and MSEI (Capital Market Segment)
Date: 25-July-2025
| Category | Buy Value (₹ Crores) | Sell Value (₹ Crores) | Net Value (₹ Crores) |
|---|---|---|---|
| DII | 12,786.65 | 10,648.06 | +2,138.59 |
| FII/FPI | 12,831.79 | 14,811.75 | −1,979.96 |
4. कमजोर तिमाही नतीजे
Infosys और Coforge जैसी IT कंपनियों के कमजोर नतीजों से बाजार की धारणा प्रभावित हुई है।
जब किसी बड़ी कंपनी के खराब नतीजे आते हैं, तो लोगों का भरोसा कम होता है और वे शेयर बेचने लगते हैं। इससे बाजार नीचे आ सकता है। Infosys और Coforge के खराब नतीजों ने भी ऐसा ही असर किया।
5. अंतरराष्ट्रीय बाजार से कमजोर संकेत
जापान, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में भी कमजोरी रही। निवेशक अगले सप्ताह होने वाली अमेरिकी फेड मीटिंग और कॉरपोरेट अर्निंग्स का इंतजार कर रहे हैं।
फेड मीटिंग (Federal Reserve Meeting) साल में कुल 8 बार होती है।
इस मीटिंग को FOMC Meeting (Federal Open Market Committee Meeting) कहा जाता है।
अमेरिका का Federal Reserve (US Central Bank) – यह तय करता है कि ब्याज दर (Interest Rate) बढ़ानी है, घटानी है या स्थिर रखनी है।
फेड मीटिंग में लिया गया कोई भी फैसला (जैसे कि ब्याज दर में बदलाव) दुनिया भर के शेयर बाजारों को प्रभावित करता है।
इससे अमेरिका का डॉलर मजबूत या कमजोर हो सकता है, जिसका असर भारत समेत उभरते बाजारों पर भी पड़ता है।
फेड मीटिंग 2025 की संभावित तारीखें:
(2025 का पूरा शेड्यूल आधिकारिक रूप से साल के शुरू में आता है, लेकिन अनुमानित तारीखें कुछ इस प्रकार होती हैं:)
| मीटिंग नंबर | संभावित महीना | उद्देश्य |
|---|---|---|
| 1 | जनवरी | साल की पहली नीति |
| 2 | मार्च | आर्थिक हालात की समीक्षा |
| 3 | मई | ब्याज दरों में बदलाव या समीक्षा |
| 4 | जून | इन्फ्लेशन और रोजगार डेटा के अनुसार निर्णय |
| 5 | जुलाई | मध्य-वर्ष की समीक्षा |
| 6 | सितम्बर | आर्थिक अनुमान |
| 7 | नवम्बर | साल के अंतिम चरण की नीति |
| 8 | दिसम्बर | साल का आखिरी रुख तय करना |
6. ऊँचे वैल्यूएशन पर दबाव
कई लार्जकैप शेयर अभी भी बहुत महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं। नकारात्मक खबर आते ही निवेशक मुनाफावसूली करने लगते हैं।
इसे समझने के लिए आपको Valuation Metrics (मूल्यांकन संकेतक) को देखना होता है।
1. P/E Ratio (Price to Earnings Ratio)
2. P/B Ratio (Price to Book Value)
3. EV/EBITDA Ratio
4. PEG Ratio (Price/Earnings to Growth)
7. तकनीकी कमजोरी
निफ्टी अपने 55-EMA सपोर्ट को तोड़ चुका है और 24,800 के नजदीक ट्रेड कर रहा है। यदि यह स्तर टूटा, तो गिरावट और गहरी हो सकती है।
8. ECB द्वारा ब्याज दरों में बदलाव न होना
यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें यथावत रखीं, जिससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी रही।
जब कोई बड़ा बैंक (जैसे European Central Bank – ECB) ब्याज दरें नहीं बदलता, तो निवेशकों को यह साफ नहीं हो पाता कि आगे महंगाई या आर्थिक हालात किस ओर जाएंगे। इससे शेयर बाजार, करेंसी मार्केट और बांड मार्केट में हलचल बनी रहती है।
9. DIIs की खरीदारी में ठहराव
घरेलू संस्थागत निवेशकों की तरफ से खरीदारी की गति में थोड़ी सुस्ती आई है, जिससे FII बिकवाली का असर और बढ़ गया।
“जब DII धीमा पड़ता है और FII बिकवाली करता है, तो बाजार में गिरावट गहरा जाती है।”
10. भूराजनीतिक तनाव
भले ही आज सीधे इसका प्रभाव ना दिखा हो, लेकिन वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव भी बाजार की सेंटीमेंट को प्रभावित कर रहे हैं।
दुनिया में चल रहे तनाव बाजार की सोच पर असर डाल रहे हैं, भले ही आज इसका सीधा असर न दिखा हो। निवेशकों की सोच, भरोसा और मूड – जो बाजार में खरीद-बिक्री को तय करता है।
अब क्या करें?
- घबराएं नहीं: बाजार का गिरना एक सामान्य प्रक्रिया है।
- लंबी अवधि के निवेश पर टिके रहें: मजबूत कंपनियों में विश्वास बनाए रखें।
- SIP चालू रखें: गिरावट के समय ज़्यादा यूनिट मिलती हैं।
- अच्छे शेयर पहचानें: गिरावट में मजबूत शेयरों की खरीद का मौका होता है।
- सलाह लें: यदि असमंजस में हों, तो किसी फाइनेंशियल एडवाइज़र से मार्गदर्शन लें।
कब तक रह सकती है ये गिरावट?
इसका सटीक अनुमान लगाना कठिन है। परंतु, जब तक FII की बिकवाली नहीं थमती, और वैश्विक अनिश्चितताओं पर स्पष्टता नहीं आती, बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
आने वाले कारोबारी सत्रों में कॉर्पोरेट अर्निंग्स, FII गतिविधियाँ, और वैश्विक फैसले बाजार की दिशा तय करेंगे।
टैरिफ क्या होता है और इसका मकसद क्या होता है?
यह एक तरह का कर होता है जो किसी वस्तु के आयात या निर्यात पर सरकार द्वारा लगाया जाता है।
भारत किन उत्पादों पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है?
डेयरी, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक सामान और ऑटो सेक्टर में सबसे ज़्यादा टैरिफ होता है।
टैरिफ लगाने से देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होता है?
यह देशी उद्योगों को सुरक्षा देता है, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ा सकता है।
अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ विवाद क्यों होते हैं?
दोनों देश अपने-अपने उद्योगों की रक्षा के लिए कुछ वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाते हैं, जिससे व्यापारिक मतभेद होते हैं।
क्या टैरिफ हटाने से किसान और छोटे उद्योग प्रभावित होंगे?
हाँ, विदेशी वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा बढ़ने पर स्थानीय किसानों और छोटे कारोबारियों को नुकसान हो सकता है।
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Contents
- 1 1. वित्तीय शेयरों पर दबाव (Financial Stocks Under Pressure)
- 2 2. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता (Uncertainty Over India–US Trade Deal)
- 3 3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
- 4 4. कमजोर तिमाही नतीजे
- 5 5. अंतरराष्ट्रीय बाजार से कमजोर संकेत
- 6 6. ऊँचे वैल्यूएशन पर दबाव
- 7 7. तकनीकी कमजोरी
- 8 8. ECB द्वारा ब्याज दरों में बदलाव न होना
- 9 9. DIIs की खरीदारी में ठहराव
- 10 10. भूराजनीतिक तनाव
- 11 अब क्या करें?
- 12 कब तक रह सकती है ये गिरावट?
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