Silver केवल पारंपरिक कारणों (शादी, पूजा) की वजह से नहीं, बल्कि अब टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री की ज़रूरतों की वजह से भी बढ़ रही है। अगर आप 2025 और आगे के लिए निवेश सोच रहे हैं, तो चांदी एक समझदार और लॉन्ग टर्म विकल्प हो सकता है। भारत में Silver Price तेजी से बदल रही है और लोग सोच रहे हैं – “क्या Silver में निवेश करना 2025 में फायदेमंद रहेगा?”
इस ब्लॉग Silver Share Price Target 2025 आर्टिकल मे हम जानेंगे –
- Latest Indian and International Rates
- How India Calculates Silver Price
- Silver Chart
- Gold-Silver Ratio: Should You Buy Silver Instead of Gold Right Now?
- What Is the Exact Weight of 1 oz (Ounce)?
- Silver Is Not Just Jewelry — Discover Its Real Importance!
- What Are “Alpha” and “Beta” in Investing?
- Top Reasons Behind the Rising Demand for Silver
- Will the Demand for Silver Increase Even More in the Future 2025 to 2030 ?
SILVER
Quick Review
Latest Indian and International Rates
(Indian Bullion & Jewellers Association) | |
Silver Purity 999 (PM)-17.04.2025) | ₹94910 per Kg |
Silver MCX Future -(17.04.2025) | ₹95037 per Kg |
Silver BEES (ETFs)-(17.04.2025) | ₹92.20 units |
London Bullion Market Association (17.04.2025) | $32.310 oz |
Silver Spot Price (XAG/USD) (17.04.2025) | $32.539 oz |
COMEX Silver Future (17.04.2025) | $32.470 oz |
All silver price updates are based on the latest market closing. |
At the end of this blog, I’ve listed links to all the original rate sources—just click on any of them to see the latest rates directly on the official websites(ब्लॉग के अंत में मैंने सभी रेट्स के ऑरिजिनल सोर्स लिंक दिए हैं—आप उन पर क्लिक करके सीधे आधिकारिक वेबसाइट से ताज़ा दरें देख सकते हैं।)
How India Calculates Silver Price
International Spot Price से Domestic Price
Retail Estimate में सारे टैक्स, मार्जिन और लॉजिस्टिक्स जोड़े जाते हैं, जिससे फाइनल कीमत ज़्यादा दिखती है।
IBJA Rate सिर्फ एक्सचेंज और ज्वेलर्स से मिली average wholesale quotes पर आधारित होता है — इसमें सभी टैक्सेस नहीं जुड़े होते।
From International Spot Price to Indian Domestic Silver Rate (As of 17 April 2025)
1) Step-by-Step Silver Price Calculation |
International Spot (per oz) |
Today’s Silver Spot Price = $32.539/oz |
Dollar to INR Conversion |
1 USD = ₹85.39 |
₹ per oz = $32.539 × 85.39 = ₹2,779/oz |
Ounce to Kilogram |
1 Troy oz = 31.1035 grams |
1 kg = 1000 g = 1000 ÷ 31.1035 = 32.1507 oz |
Base Domestic Price (per kg) |
₹2,779 × 32.1507 oz = ₹89,330 per kg |
2) Add-On Costs (Import Duty, GST, Logistics, Dealer Margin) |
Import Duty (10%) |
₹89,330 × 1.10 = ₹98,263 |
GST on Bullion (3%) |
₹98,263 × 1.03 = ₹101,211 |
Logistics & Dealer Margin (2%) |
₹101,211 × 1.02 = ₹103,235 (approx.) |
₹1,03,235/kg ये maximum retail estimate है, जबकि ₹94,910/kg जो IBJA ने घोषित किया, वो official wholesale average rate है जेवेल्लरी का, जिस पर अभी GST (टैक्स ) , making Charges और other चार्जेज आपके डिज़ाइन के अनुसारलगते हैं।
Silver-Chart


Gold-Silver Ratio: Should You Buy Silver Instead of Gold Right Now? (Gold-Silver Ratio: क्या अभी चांदी खरीदनी चाहिए या सोना?)
क्या गोल्ड-सिल्वर रेशियो संकेत दे रहा है चांदी खरीदने का मौका?

Gold-Silver Ratio क्या है? अभी गोल्ड-सिल्वर रेशियो 102.50 oz के पास है — क्या चांदी में निवेश का सही समय है?
Gold-Silver Ratio = सोने का भाव ÷ चांदी का भाव
यह रेशियो बताता है कि एक ग्राम या एक औंस सोना खरीदने के लिए कितनी चांदी चाहिए। इससे हमें समझ आता है कि कौन महंगा है और कौन सस्ता।
उदाहरण: 16.04.2025
- अगर सोना = $3343.08/oz
- और चांदी = $32.745/oz
तो Gold-Silver Ratio = 3343.08 ÷ 32.745 = 102.05
मतलब: एक औंस सोना खरीदने के लिए 102.05 औंस चांदी चाहिए।
What Is the Exact Weight of 1 oz (Ounce)?
1 oz कितना ग्राम होता है? निवेशकों के लिए ज़रूरी जानकारी
जब हम सोना या चांदी की अंतरराष्ट्रीय कीमत की बात करते हैं, तो वहाँ पर जो “oz” (ounce) होता है, वो होता है
1 Troy Ounce = 31.1035 grams
ये “Troy ounce” होता है, जो खासतौर पर कीमती धातुओं (precious metals) जैसे Gold, Silver, Platinum आदि के लिए इस्तेमाल होता है।
जबकि:
- Regular ounce (avoirdupois ounce) = 28.35 grams होता है (इसे हम रोज़मर्रा के सामान के लिए इस्तेमाल करते हैं, जैसे दूध, आटा वगैरह)।
Historical Gold-Silver Ratio Range
Year | Gold-Silver Ratio |
---|---|
1980 | 17 |
2008 | 85 |
2020 (Covid) | 126 |
2023 | 84 |
2025 (Current) | 102.05 |
50 सालों में यह रेशियो आमतौर पर 30 से 90 के बीच ही रहता है। सामान्यतः सोने और चांदी के बीच का रेशियो 30 से 90 के बीच रहता है। जब यह रेशियो बहुत ऊपर जाता है तो सोना ज्यादा महंगा होता है।
कोविड के समय में यह रेशियो 126 तक चला गया था। कोविड जैसे संकट में लोग सोने में ज्यादा निवेश करते हैं, जिससे उसका दाम चांदी के मुकाबले और बढ़ जाता है।
What Does the Current Ratio Indicate? (अभी का रेशियो क्या संकेत करता है?)
102.05 का रेशियो बहुत ऊँचा है।
इसका मतलब है कि सोना बहुत महंगा है और चांदी सस्ती मानी जा रही है।
यह संकेत करता है कि चांदी की कीमतों में आने वाले समय में तेज़ी (recovery) आ सकती है।
निवेश के नजरिए से, चांदी “undervalued“ है और अच्छा मौका हो सकता है खरीदारी का।
जब भी आप चांदी (Silver) में निवेश करें, तो अपनी पूंजी (Capital) को 60, 50 या 40 जैसे हिस्सों में बाँट लें और उसे SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) की तरह divide करके निवेश करें।
इससे आपको हर अलग-अलग प्राइस पर खरीदारी करने का मौका मिलेगा और आपका सिल्वर पोर्टफोलियो औसत (Averaging) तरीके से तैयार होगा।
साथ ही, बाजार की उतार-चढ़ाव भरी स्थिति में Risk Management का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है।
जब Gold-Silver Ratio बहुत अधिक होता है (जैसे अभी 102), तो इसका मतलब होता है कि चांदी की कीमतें अभी अपेक्षाकृत कम हैं, और भविष्य में जैसे ही यह रेशियो नॉर्मल की ओर लौटेगा (जैसे 70-80), चांदी की कीमतों में तेज़ उछाल संभव है।
What is the Standard Gold-Silver Ratio? (सामान्य या मानक (Standard) Gold-Silver Ratio क्या होता है?)
Period | Typical Ratio Range |
---|---|
Historical Average | Between 50 to 70 |
When Silver is Expensive | Around 40 or below |
When Gold is Overpriced | Above 80 to 100 |
During COVID-19 (2020) | Went up to 126 (All-time High) |
Meaning of Gold-Silver Ratio in Investment (Gold-Silver Ratio का निवेश में मतलब)
रेशियो ज़्यादा हो (90+) | रेशियो कम हो (30-50) |
---|---|
चांदी सस्ती है | सोना सस्ता है |
चांदी खरीदी जा सकती है | सोना खरीदी जा सकती है |
सोना तेज़ भाग रहा है | चांदी तेज़ भाग सकती है |
Silver Is Not Just Jewelry — Discover Its Real Importance! (Silver सिर्फ गहना नहीं, – जानिए कैसे!)
जब आप चांदी खरीदते हैं, तो आपको एक साथ दो फायदे मिलते हैं:
- सोने जैसा सुरक्षित निवेश
- इंडस्ट्रियल डिमांड से जुड़ी ग्रोथ की संभावना
चांदी में निवेश एक तरह से “Safe + Growth” दोनों का कॉम्बिनेशन है। क्योंकि इसमे सोने के तो गुण मिलते ही मिलते हैं, साथ में एक इंडस्ट्री के भी गुण मिलते हैं इसका मतलब है कि चांदी भी सोने की तरह एक सुरक्षित निवेश (Safe Haven) मानी जाती है।
महंगाई (Inflation) से बचाने में मदद करती है।
बाजार में डर या गिरावट के समय आपकी पूंजी को बचा सकती है।
यानी सोने की जो सबसे बड़ी खासियतें हैं – सुरक्षा, स्टेबिलिटी और वैल्यू स्टोर – वो चांदी में भी मिलती हैं।
चांदी सिर्फ गहनों या सिक्कों में ही नहीं, बल्कि कई इंडस्ट्रियल जगहों पर भी बहुत ज़रूरी है मतलब चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड भी बहुत ज़्यादा है, जो सोने में नहीं होती।
अब चांदी सिर्फ गहनों की चीज नहीं रही। आइए समझते हैं कैसे –

सोलर पैनल्स में चांदी क्यों इस्तेमाल होती है?
काम: सोलर पैनल सूरज की रोशनी को बिजली में बदलते हैं।
चांदी का रोल:
- चांदी दुनिया का सबसे अच्छा conductive metal (विद्युत का सबसे अच्छा प्रवाहक) है।
- सोलर पैनल के अंदर चांदी का पेस्ट (Silver Paste) लगाया जाता है, जिससे सूरज की रोशनी से बनने वाली बिजली तेज़ी से बहती है।
हर सोलर पैनल में थोड़ी मात्रा में चांदी ज़रूरी होती है।
EV (Electric Vehicles) में चांदी का इस्तेमाल कैसे होता है?
लेक्ट्रिक गाड़ियों में बहुत सारे सेंसर, बैटरी और वायरिंग होती है।
इनमें:
- सर्किट बोर्ड्स
- बैटरी कनेक्शन
- पावर कंट्रोल सिस्टम
इन सभी में चांदी के छोटे-छोटे हिस्से या कोटिंग्स होती हैं क्योंकि चांदी से इलेक्ट्रिक सिग्नल बहुत तेज़ और सुरक्षित तरीके से भेजे जाते हैं।
जैसे-जैसे EV की डिमांड बढ़ेगी, वैसे-वैसे चांदी की डिमांड भी बढ़ेगी।
मोबाइल, कंप्यूटर और 5G उपकरणों में चांदी का रोल
मोबाइल और लैपटॉप में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और माइक्रो सर्किट्स होते हैं।
5G डिवाइसेज़ में भी तेज़ डेटा ट्रांसफर के लिए चांदी का उपयोग होता है।
चांदी:
- सिग्नल को बिना रुकावट के ट्रांसफर करती है।
- चिप्स और बोर्ड्स को ज्यादा एफिशिएंट बनाती है।
इसलिए हर स्मार्टफोन, कंप्यूटर और नेटवर्क डिवाइस में थोड़ी-थोड़ी चांदी होती है।
मेडिकल उपकरणों में चांदी का उपयोग क्यों होता है?
चांदी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, यानी यह बैक्टीरिया को मार सकती है।
इसलिए इसका इस्तेमाल होता है:
- घाव भरने वाले ड्रेसिंग पैड्स में
- सर्जिकल उपकरणों में
- X-ray फिल्म्स और स्क्रीनिंग उपकरणों में
- इन्फेक्शन-फ्री कैथेटर और मेडिकल टूल्स में
क्योंकि चांदी शरीर के लिए सुरक्षित होती है और बैक्टीरिया से लड़ती है।
Major Sectors Where Silver Is Used
Sector (सेक्टर) | Role of Silver (चांदी का काम) |
---|---|
सोलर पैनल (Solar Panels) | बिजली का तेज़ प्रवाह |
(High conductivity enables efficient power generation) | |
EV(Electric Vehicles) | सेंसर और बैटरी कनेक्शन |
(Used in sensors, battery connectors, and circuits) | |
मोबाइल/5G | फास्ट डेटा और कनेक्टिविटी |
Ensures fast data transfer and seamless connectivity | |
मेडिकल (Medical) | एंटीबैक्टीरियल, इन्फेक्शन रोकने वाला |
Antibacterial properties; helps prevent infections |
What Are Alpha and Beta in Investing?(अल्फा और बीटा क्या होता है?)
अगर हम अपना एक्सपोज़र 20% तक भी सोने – चांदी मे रखें तो पोर्टफोलियो का अल्फा बढ़ेगा बीटा कम होगा।
बीटा मतलब Volatility कम होगी और हमने देखा ही है जैसे-जैसे इक्विटी में गिरावट आई है हमने वैसे-वैसे सोने में उछाल देखा है।
इस गिरावट मे भी देखिए जो 27 Sep 2024 से start हुई है। अगर हम सिर्फ सोने -चांदी का पोर्टफोलियो बना रहे हैं तो 60 :40 का ratio रखें जिसमे 60 silver और 40 gold ऐसा एक्सपर्ट्स का मानना है। Alpha और beta की पूरी जानकारी नीचे दी गयी है।

ये दोनों शब्द शेयर बाजार और निवेश की दुनिया में बहुत आम हैं, लेकिन कई लोगों को इनका असली मतलब नहीं पता होता। चलिए, इसे बिलकुल आसान भाषा में समझते हैं:
Alpha क्या है?–Alpha बताता है कि आपका स्टॉक मार्केट से कितना बेहतर या कमतर प्रदर्शन कर रहा है (Performance Measure)
Alpha = Actual Return – Expected Return (as per market) |
Meaning: |
अगर आपका स्टॉक या पोर्टफोलियो मार्केट की अपेक्षा ज़्यादा रिटर्न देता है, तो उसका Alpha Positive होगा। |
अगर कम रिटर्न देता है, तो Alpha Negative। |
Example: |
Nifty 50 ने 1 साल में 10% का रिटर्न दिया। |
आपके स्टॉक/पोर्टफोलियो ने 15% रिटर्न दिया। |
अगर दोनों का रिस्क बराबर है, तो: |
Alpha = 15% – 10% = +5% |
इसका मतलब: |
आपने मार्केट से 5% ज़्यादा कमाया = Good Alpha |
Alpha एक मीट्रिक है जो बताता है कि आपका निवेश (स्टॉक या पोर्टफोलियो) मार्केट की तुलना में कैसा प्रदर्शन कर रहा है। |
अगर Alpha > 0 → निवेश मार्केट से बेहतर कर रहा है अगर Alpha = 0 → निवेश मार्केट जितना ही कर रहा है अगर Alpha < 0 → निवेश मार्केट से खराब कर रहा है |
Alpha को क्यों समझना ज़रूरी है? |
ये बताता है कि आपके द्वारा चुना गया स्टॉक या म्यूचुअल फंड “स्मार्ट” है या नहीं। Alpha आपकी फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी को बेहतर बनाने में मदद करता है। ये इन्वेस्टमेंट के रिटर्न का “pure performance” दर्शाता है। |
Alpha कैसे कैलकुलेट होता है? |
Alpha = Actual Return − Expected Return (CAPM Model के हिसाब से) |
Expected Return कैलकुलेट करने के लिए आपको चाहिए: |
Risk-free rate (जैसे: भारत में 10 साल का गवर्नमेंट बॉन्ड) Beta of the stock Market return |
CAPM फॉर्मूला: |
Expected Return = Risk-free rate + Beta × (Market Return − Risk-free rate) |
Alpha को calculate करने के लिए CAPM मॉडल (Capital Asset Pricing Model) का उपयोग होता है। इसमें Risk-Free Rate, Beta, और Market Return का भी योगदान होता है। |
Example: |
मान लीजिए किसी स्टॉक ने 15% का रिटर्न दिया है। |
Beta = 1.2 Market Return = 10% Risk-free rate = 6% |
तो, |
Expected Return = 6% + 1.2 × (10% − 6%) = 10.8% Alpha = 15% − 10.8% = 4.2% |
यानी स्टॉक ने 4.2% एक्स्ट्रा कमाई दी — यानी Positive Alpha! |
बीटा (Beta) – क्या है, क्यों ज़रूरी है, और कैसे समझें?
Beta बताता है कि आपका स्टॉक मार्केट के मुकाबले कितना ज़्यादा या कम वोलाटाइल है (Risk Measure)
बीटा (Beta) – जोखिम और उतार-चढ़ाव का पैमाना है। |
अगर stock का Beta = 1 हो |
तो स्टॉक का मूवमेंट मार्केट के मूवमेंट बराबर होगा। |
अगर stock का Beta (बड़ा )>1 हो |
इसका मतलब है कि स्टॉक मार्केट से ज़्यादा तेज़ी या मंदी दिखाएगा। |
अगर मार्केट 1% बढ़ता है, तो ये स्टॉक 1% से ज़्यादा बढ़ सकता है। |
अगर मार्केट 1% गिरता है, तो ये स्टॉक 1% से ज़्यादा गिर सकता है। |
यानी ये highly volatile है = ज़्यादा रिस्क + ज़्यादा रिटर्न का मौका। |
अगर आप जानना चाहते हैं कि stock कितना रिस्की है और इसका उतार-चढ़ाव Nifty 50 के मुकाबले ज्यादा है या कम- |
Step 1: Nifty 50 का बीटा हमेशा = 1 माना जाता है मतलब: Nifty अगर 10% ऊपर जाता है, तो बीटा 1 वाला स्टॉक भी करीब-करीब 10% ऊपर जाएगा। |
For Example – Tata Motors | |
कंपनी का नाम | Tata Motors |
बीटा वैल्यू | 1.65 Ratio |
मतलब क्या है? | यह स्टॉक मार्केट से 65% ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाला (volatile) है। मतलब: अगर मार्केट 1% ऊपर जाता है, तो यह लगभग 1.65% ऊपर जा सकता है (या नीचे)। |
बीटा = स्टॉक की वोलाटिलिटी ÷ मार्केट की वोलाटिलिटी |
तो अगर: Market Volatility = 1 (यानि 100%) |
Stock का Beta = 1.65 (Ratio) |
तो: Stock Volatility (%) = Beta × Market Volatility |
= 1.65 × 100% = 165% |
Volatility= Stock Volatility–Market Volatility |
अब: Difference = 165% − 100% = 65% |
Final Conclusion: बीटा 1.65 का मतलब है कि स्टॉक की वोलाटिलिटी मार्केट से 65% ज्यादा है। |
अगर stock का Beta (छोटा )< 1 हो: |
इसका मतलब है कि स्टॉक मार्केट से कम उतार-चढ़ाव वाला है। |
मार्केट 1% ऊपर जाए, तो स्टॉक थोड़ा ही ऊपर जाएगा। |
मार्केट गिरे, तो ये भी कम ही गिरेगा। |
यानी ये कम रिस्क वाला स्टॉक है। |
For Example HUL (Hindustan Unilever) | |
कंपनी का नाम | HUL (Hindustan Unilever) |
बीटा वैल्यू | 0.55 Ratio |
मतलब क्या है? | यह स्टॉक मार्केट से 45% कम वोलाटाइल है। मतलब: अगर मार्केट 1% मूव करता है, तो यह स्टॉक सिर्फ 0.55% मूव करता है। यानी यह स्थिर और सुरक्षित माना जाता है। |
Beat = स्टॉक की वोलाटिलिटी ÷ मार्केट की वोलाटिलिटी |
तो अगर: Market Volatility = 1 (यानि 100%) |
Stock का Beta = 0.55 (Ratio) |
तो: Stock Volatility (%) = Beta × Market Volatility |
= 0.55 × 100% = 55% |
Volatility= Stock Volatility–Market Volatility |
अब: Difference = 100% − 55% = 45% |
तो Beta 0.55 का मतलब है मार्केट से 45% कम वोलाटाइल। |
Top Reasons Behind the Rising Demand for Silver(चांदी की डिमांड के प्रमुख कारण)

शादी और त्योहारों में उपयोग | चांदी की ज़ेवरात, बर्तन और पूजा सामग्री, अक्षय तृतीया, दिवाली और शादी |
निवेश के रूप में चांदी | Silver Coins, Bars, और ETFs |
औद्योगिक उपयोग | सोलर पैनल इंडस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइस |
ग्रीन एनर्जी और EV सेक्टर | भारत सरकार की “Net Zero Emission” नीति के चलते सोलर और EV सेक्टर में बूम है। |
चांदी का रेट और अफोर्डेबिलिटी | गोल्ड के मुकाबले सस्ती और अफोर्डेबल |
Will the Demand for Silver Increase Even More in the Future 2025 to 2030 ?(क्या भविष्य में चांदी की डिमांड और बढ़ेगी?)
भारत में EV और Solar Projects तेजी से बढ़ रहे हैं। चांदी इसमें एक जरूरी कच्चा माल है, इसलिए भविष्य में डिमांड और बढ़ेगी।
लोगों का निवेश करने का नजरिया बदल रहा है। गोल्ड के मुकाबले सस्ती और अफोर्डेबल होने की वजह से आम जनता ज्यादा खरीद पाती है। 1 किलो चांदी और 1 किलो गोल्ड मे बहुत प्राइस difference है।
चांदी की अफोर्डेबिलिटी इसे “Gold का छोटा भाई” बनाती है। चांदी की डिमांड का लगभग 50-60% हिस्सा इंडस्ट्री से आता है।
भारत में चांदी का उत्पादन बहुत कम है, इसलिए 80% से ज़्यादा चांदी का इंपोर्ट (आयात) होता है।
Silver Import Duty = 10% के आसपास रहती है जो कीमतों को प्रभावित करती है।
सिल्वर का टेक्निकल आउटलुक (2025–2030)
विशेषज्ञों की राय के अनुसार, 2025 के बाद सिल्वर की कीमतें तेज़ी से ऊपर जा सकती हैं, खासकर इंडस्ट्रियल डिमांड और लिमिटेड माइनिंग सप्लाई की वजह से। नीचे दी गई संभावित रेंज मार्केट ट्रेंड और तकनीकी विश्लेषण पर आधारित है:
साल | संभावित रेंज (INR/kg) | निवेशक के लिए संकेत |
---|---|---|
2025 | ₹90,000 – ₹1,05,000 | करेक्शन में एंट्री का मौका |
2026 | ₹1,00,000 – ₹1,20,000 | EV और टेक्नोलॉजी से डिमांड बढ़ेगी |
2027 | ₹1,15,000 – ₹1,35,000 | सप्लाई प्रेशर और डिमांड बूस्ट |
2028 | ₹1,30,000 – ₹1,50,000 | इंडस्ट्रियल बूम + Hedge डिमांड |
2029 | ₹1,45,000 – ₹1,65,000 | लॉन्ग टर्म बुल मार्केट |
2030 | ₹1,60,000 – ₹1,85,000 | गोल्ड की तरह ‘Safe Haven’ मानी जा सकती है |
Note: ये रेंज अनुमान हैं — बाजार रिस्क और पॉलिटिकल/इकोनॉमिक घटनाएं इसे प्रभावित कर सकती हैं।
Conclusion
- चांदी में गिरावट एक मौका हो सकता है।
- इंडस्ट्रियल डिमांड के कारण चांदी की कीमतों में लंबी अवधि में उछाल संभव है।
- गोल्ड-सिल्वर रेशियो के अनुसार चांदी अभी भी सस्ती है।
- निवेश में चांदी को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- 2025 तक ₹1,30,000 तक की कीमत देखने को मिल सकती है।
चांदी में निवेश करते समय किन–किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
लंबी अवधि का दृष्टिकोण
लिक्विडिटी
भंडारण और बीमा-भौतिक चांदी
वोलाटिलिटी
चांदी में निवेश के कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
सिक्के, बार्स और आभूषण।
सिल्वर ETF
चांदी खनन कंपनियों के शेयर।
सिल्वर फ्यूचर्स और ऑप्शंस
चांदी का मूल्य किन कारकों से प्रभावित होता है?
औद्योगिक और निवेश मांग में वृद्धि या कमी।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता में चांदी की मांग बढ़ती है।
महंगाई के समय चांदी की कीमत में वृद्धि होती है।
डॉलर के मूल्य में बदलाव से चांदी की कीमत प्रभावित होती है।
क्या चांदी सोने की तरह सुरक्षित निवेश है?
हाँ
क्या चांदी की कीमतें भविष्य में और बढ़ सकती हैं?
हाँ
क्या सिल्वर ETF में निवेश करना फायदेमंद है?
हाँ,
स्टोरेज का झंझट नहीं
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए उपयुक्त
मार्केट प्राइस के अनुसार चलता है
आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है
Trusted Sources for Silver Price in India
IBJA – Indian Bullion and Jewellers Association
Silver Spot Price International
Silver Future Price International

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Disclaimer-
इस लेख में दी गई सभी जानकारी केवल शैक्षिक और जानकारी देने के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह (Investment Advice) नहीं है। शेयर बाजार और कमोडिटी में निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन है। कृपया किसी भी निवेश निर्णय से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइज़र से सलाह लें। लेखक और वेबसाइट किसी भी वित्तीय नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं होंगे।
Contents
- 1 SILVER
- 2 How India Calculates Silver Price
- 3 Silver-Chart
- 4 Gold-Silver Ratio: Should You Buy Silver Instead of Gold Right Now? (Gold-Silver Ratio: क्या अभी चांदी खरीदनी चाहिए या सोना?)
- 5 What Is the Exact Weight of 1 oz (Ounce)?
- 5.1 Historical Gold-Silver Ratio Range
- 5.2 What Does the Current Ratio Indicate? (अभी का रेशियो क्या संकेत करता है?)
- 5.3 What is the Standard Gold-Silver Ratio? (सामान्य या मानक (Standard) Gold-Silver Ratio क्या होता है?)
- 5.4 Meaning of Gold-Silver Ratio in Investment (Gold-Silver Ratio का निवेश में मतलब)
- 6 Silver Is Not Just Jewelry — Discover Its Real Importance! (Silver सिर्फ गहना नहीं, – जानिए कैसे!)
- 7 What Are Alpha and Beta in Investing?(अल्फा और बीटा क्या होता है?)
- 8 बीटा (Beta) – क्या है, क्यों ज़रूरी है, और कैसे समझें?
- 9 Top Reasons Behind the Rising Demand for Silver(चांदी की डिमांड के प्रमुख कारण)
- 10 Will the Demand for Silver Increase Even More in the Future 2025 to 2030 ?(क्या भविष्य में चांदी की डिमांड और बढ़ेगी?)
- 10.1 चांदी में निवेश करते समय किन–किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- 10.2 चांदी में निवेश के कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं?
- 10.3 चांदी का मूल्य किन कारकों से प्रभावित होता है?
- 10.4 क्या चांदी सोने की तरह सुरक्षित निवेश है?
- 10.5 क्या चांदी की कीमतें भविष्य में और बढ़ सकती हैं?
- 10.6 क्या सिल्वर ETF में निवेश करना फायदेमंद है?